लिखता रहूंगा रवानी तुम्हारी कलम से बनी कहानी तुम्हारी शब्दों की भाषा में लिखता रहूंगा।
अनायास वेदना को पढ़ता रहूंगा जीवन की राहों में बहता रहूंगा ।
सदा विस्तृत आयाम करता रहूंगा विविध रास्तों को मिलाते हुए।
सफर मैं ही जीवन जीता रहूंगा मार्गों की बनावट में बहता रहूंगा ।
मंजिल से मिलकर चलता रहूंगा ।
कहानी रहेगी यह मेरी तुम्हारी भावों की शैली की आशा पुरानी विविध रास्तों में मंजिल मिलेगी धार से लड़ते रवानी कहानी कहेगी।
✍आमोद शुभम् मिश्रा
बहुत सुंदर |
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जी धन्यवाद
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